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नमस्कार आज के सेशन में आपका स्वागत है। | 8 |
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डरावना विषय है, लोग भाग जाते हैं। | 8 |
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दरअसल, वो पृथ्वी की आयु है। | 8 |
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आज हम शुरू करेंगे। | 8 |
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भारतीय दर्शन से | 8 |
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भारतीय दर्शन से क्यों शुरू करेंगे? | 8 |
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तो एक रास्ता है कि हम भारत से शुरू करें। | 8 |
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यूरोप अमेरिका का दर्शन | 8 |
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सिर्फ भारत से ही क्यों शुरू करें। | 8 |
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और ये बात | 8 |
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सत्यापित है। | 8 |
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पूरे पश्चिम का पहला दार्शनिक थेल्स | 8 |
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लेकिन हमारे यहां उस समय | 8 |
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कम से कम हजार साल पहले हम वेद लिख चुके थे। | 8 |
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उपनिषदों को लिखने के प्रोसेस में थे | 8 |
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राष्ट्र कवि का दर्जा उन्हें दिया जाता है। | 8 |
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उनकी बहुत किताबें हैं। | 8 |
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और उसमें वह जो अतीत खंड है। | 8 |
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महान रहा, उसमें बड़ी प्रसिद्ध पंक्ति है। | 8 |
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संसार को पहले हम ही ने ज्ञान शिक्षा दान की | 8 |
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संसार को पहले हम ही ने ज्ञान शिक्षा दान की | 8 |
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आचार की, व्यवहार की, व्यापार की, विज्ञान की | 8 |
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वो बात तो आनी चाहिए। | 8 |
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तीसरा कारण बहुत पर्सनल है। | 8 |
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इससे पूरा वेस्टर्न फिलॉसफी समझ में आ गई | 8 |
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भारतीय पर नहीं मिलते | 8 |
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आज हम दो बातों पर गौर करेंगे। | 8 |
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आज एक इंट्रोडक्शन रखेंगे। | 8 |
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भारतीय दर्शन का | 8 |
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तो उसमें दो बातों पर गौर कर सकते हैं। | 8 |
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अनुक्रम क्या है या हिस्टोरिकल | 8 |
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पर्सपेक्टिव क्या है। | 8 |
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उसका हिस्टोरिकल पर्सपेक्टिव | 8 |
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वेद से शुरू होकर | 8 |
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सभी दार्शनिकों में नजर आ जाते हैं | 8 |
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वस्तु है या कुछ है, आत्मा है। | 8 |
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यह क्रम सिद्धांत है, यह भी दर्शन का हिस्सा है | 8 |
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आप सब दार्शनिक | 8 |
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हम चाहकर भी अदार्शनिक नहीं हो सकते। | 8 |
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वही आज समझने का प्रयास करेंगे | 8 |
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तो यदि शुरुआत करें कि। | 8 |
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कहां कहां से फिलॉसफी की शुरुआत हमारे देश में हुई। | 8 |
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भारतीय दर्शन में कह सकते हैं। | 8 |
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बहुत-बहुत विस्तार में जाने की जरूरत नहीं है। | 8 |
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और एक शब्द आपने शायद सुना होगा। | 8 |
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उपनिषद। | 8 |
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देवनागरी में नहीं लिख रहा हूं क्योंकि | 8 |
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बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो हिंदी समझते | 8 |
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वेद आपको पता है कि बहुत पुरानी रचना | 8 |
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वेदों को किसने लिखा पता नहीं | 8 |
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यह किसी एक व्यक्ति की रचना हो नहीं सकती | 8 |
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इन मंत्रों की रचनाएं की होंगी। | 8 |
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ये मानवीय नहीं हो सकता। | 8 |
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वेद अकृत्रक है। | 8 |
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नित्य है प्राकृतिक है। | 8 |
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हाँ ये हो सकता है कि वेदों के ज्ञान को कुछ लोगों ने कंपाइल कर दिया हो, लेकिन वेदों की रचना | 8 |
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इकट्ठा किया गया। | 8 |
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तो जो वेदव्यास नाम के एक ऋषि हुए | 8 |
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वेदव्यास बहुत ही | 8 |
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विराट योगदान वाले व्यक्ति माने जाते हैं। | 8 |
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ये वो व्यक्ति | 8 |
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जिन्होंने अट्ठारह पुराणों की रचना की। | 8 |
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जो वेदान्त दर्शन का सबसे मूल एक ग्रंथ है। | 8 |
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वेद चार हैं। | 8 |
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एक नाम अथर्ववेद है। | 8 |
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वेदों में दर्शन बहुत ज्यादा नहीं | 8 |
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हवन करते हैं। पूजा पाठ करते हैं। | 8 |
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अरे भाई सब रास्ते एक ही रास्ते हैं। | 8 |
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एक ही है एकम सत विप्रा बहुधा वदन्ति | 8 |
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हर वेद के चार हिस्से माने जाते हैं। | 8 |
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जिसमें पहले हिस्से का नाम होता है, संहिता | 8 |
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और संहिता का बेसिक मतलब | 8 |
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ब्राह्मण का। | 8 |
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इसी वजह से ब्राह्मण ही कहलाने लगे होंगे। | 8 |
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आरण्यक, अरण्य होता है जंगल। | 8 |
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वो आरण्यक में होते थे | 8 |
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इसलिए उपनिषद कोई अलग चीज नहीं | 8 |
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उपनिषद। वेदों का ही हिस्सा है। | 8 |
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बहुत सारे उपनिषद माने जाते हैं। | 8 |
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जैसे वृहदारण्यक बहुत महत्वपूर्ण है | 8 |
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इसके अंतर्गत है। सामवेद के अंतर्गत छांदोग्य उपनिषद, | 8 |
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वेदों का अंतिम हिस्सा | 8 |
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उपनिषद जो है ना वह है फिलॉसफी। | 8 |
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वेदांत में दिखती है, इसलिए आपको समझना होगा। | 8 |
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वो क्या है उपनिषद है | 8 |
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वो सारी धारणाएं जो आप आज मानते हैं, आ चुकी थी | 8 |
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आत्मा होती है या नहीं। वेदों में कहीं कहीं हल्का-सा कन्फ्यूजन दिख सकता है, | 8 |
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मुक्ति कह देते | 8 |
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पूरी तरह से | 8 |
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इससे ये सारी की सारी धारणाएं आत्मा हो। | 8 |
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और आपने शब्द सुना होगा, ब्रह्म | 8 |
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वेदों में बहुत सारे ईश्वर हैं। | 8 |
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ये इंडियन फिलॉसफी का पहला फेज है, | 8 |
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लेकिन इसके बाद क्या हुआ। | 8 |
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तो बहुत सारे लोगों की रुचि | 8 |
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इन चीजों से हटने लगी | 8 |
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उसका कारण मानते हैं। | 8 |
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आस्तिक दर्शन | 8 |
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यह शब्द प्रचलित हैं। | 8 |
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दर्शन की पुस्तकों में | 8 |